🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
बड़े बूढ़ों का आत्मसम्मान
तालियों की स्वर में देव प्रकाश जी की रुंधी हुई स्वर को संभवतः किसी ने अनुभव नहीं किया !चश्मा थोडा सा ऊपर कर वो अपनी आँखों के कोरो को रुमाल से पोंछ रहे थे !उम्र के अंतिम पड़ाव पर आकर उन्हें अनुभव हुआ कि जीवन में कुछ सीखना हो तो उम्र मायने नहीं रखती न ही उम्र बंधन है !बस कुछ भी पाना हो और अपनी मंजिल पर पहुंचना हो तो बस एक उत्साह ही होना चाहिए! और ये अनुभव उनकी अपनी बहू स्नेहा ने दिलाया जो स्टेज के पीछे खड़ी उन्हें हाथ हिला कर अपनी प्रसन्नता से भीगी आँखों से मौन बधाई दे रही थी ! देव प्रकाश जी गदगद ह्रदय से बहू को आशीष दे रहे थे ! आज उन्हें अनाथ बच्चों को पढाने और उन्हें हर संभव सहायता करने के लिए सम्मानित किया जा रहा था !उनकी पत्नी को भी,गरीब लडकियो को सिलाई
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