🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
स्वच्छ सकारात्मक सोच
या तो सम्पूर्ण जीवन मे बचपन का समय होता है जब तक हमारे कटु अनुभव, हमारी सोच को प्रभावित नही किये होते या बुढापे का समय होता है जब हम "बस चार दिन की जीवन बचे है" ये सोचकर अपने कटु अनुभवों को अपनी सकारात्मक सोच पर प्रभाव नही डालने देते। आज की दो लघु कहानियाँ-
विनय ने ऑफिस से आते ही घर में घुसते हुये आवाज लगाई....
सीमा शीघ्र से चाय बना दो कड़ाके की ठंड है आज तो...मैने चाय का जल पहले ही चढ़ाया हुआ था...हम दोनो साथ में चाय पीने हॉल में बैठ गये...!!!!
इतने में मेरा आठ वर्ष का बेटा विशू भागते हुये घर में आया व सीधा कमरे में चला गया व वहाँ से नया कंबल उठाया व पुनः से बाहर निकल गया मैं आवाज
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