🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
“महाबालिदान- शौर्य तथा शोक का सप्ताह” कहानी ~ नमः वार्ता
पूस का 13वां दिन….
वजीर खां ने फिर पूछा- "बोलो इस्लाम स्वीकार करते हो"?
6 साल के छोटे साहिबजादे फ़तेह सिंह ने वजीर खां से पुछा-
"अगर मुसलमान हो गए तो फिर कभी नहीं मरेंगे न ?"
वजीर खां अवाक रह गया।
उसके मुँह से उत्तर न फूटा तो साहिबजादे ने उत्तर दिया कि "जब मुसलमान हो के भी मरना ही है , तो अपने धर्म में ही अपने धर्म की लिए क्यों न मरें ?"
दोनों साहिबजादों को जीवित दीवार में चुनवाने का आदेश हुआ। दीवार चिनी जाने लगी ।
जब दीवार 6 वर्षीय फ़तेह सिंह की गर्दन तक आ गयी तो 8 वर्षीय जोरावर सिंह रोने लगा।
फ़तेह ने पूछा, "जोरावर रोता क्यों है ?"
जोरावर बोला-"रो इसलिए रहा हूँ कि आया मैं पहले था पर धर्म के लिए बलिदान तू पहले हो रहा है"
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