🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
“ बनूंगी सासू माँ सी सासूमाँ ” कहानी ~ नमः वार्ता
सुबह 10 बार स्वर लगाने पर भी ना उठती हो जो कभी वो आज सुबह 6 बजे उठकर चाय बनाने लगी। समाचार पत्र ले आयी, पौधों को जल दे दिया, पापा को भी सुबह टहलने जाने के लिए जगाने आ गयी ! अंतता ये चक्कर क्या है। घर के सभी लोग रानी को बड़ी आश्चर्य मुद्रा में देखे जा रहे थे।
जब सब के सब्र का बांध टूट गया तो उसने बड़े ही सहज रूप में कहा, "वहाँ ससुराल में थोड़ी कोई होगा मेरे आगे पीछे घूमने के लिये"। विवाह पक्की हुए अभी 3 महीने ही हुए थे और अचानक से रानी की समझ में इतना परिवर्तन और बेटी को बड़ी होते देख सब प्रसन्न भी थे और दुखी भी।
विवाह हुई रानी अपने नए घर आयी। सुबह नींद नही खुलेगी यह सोचकर वह पूरी रात नहीं सोई। शीघ्र नहा धोकर, पूजा कर अपनी पहली रसोई की तैयारी की सोचने लगी। क्या बनाऊ जो सबको अच्छा लगे, बच्चो को भी पसंद आये ! इस सोच विचार में लगी थी कि एक सहज मीठी सी स्वर आयी, रानी तुम इतना शीघ्र क्यों उठ गई बेटा ?"
जैसे उन स्वरों में आनंद था! रानी ने जैसे ही पीछे मुड़ के देखा तो "सासु माँ" हाथ में विवाह के हिसाब के कुछ पन्ने लिए खड़ी थी। विवाह की दौड़ भाग में कितना परेशान हो गयी होगी, फिर घरवालो का स्मरण भी
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