🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
“ गृहस्थी में त्याग ” कहानी ~ नमः वार्ता
विवाह की वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर पति-पत्नी साथ में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे।
संसार की दृष्टि में वो एक आदर्श युगल था। प्रेम भी बहुत था दोनों में लेकिन कुछ समय से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि संबंधों पर समय की धूल जम रही है। शिकायतें धीरे-धीरे बढ़ रही थीं।
बातें करते-करते अचानक पत्नी ने एक सुझाव दिया कि मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना होता है लेकिन हमारे पास समय ही नहीं होता एक-दूसरे के लिए इसलिए मैं दो डायरियाँ ले आती हूँ और हमारी जो भी शिकायत हो हम पूरा वर्ष अपनी-अपनी डायरी में लिखेंगे।
अगले वर्ष इसी दिन हम एक-दूसरे की डायरी पढ़ेंगे ताकि हमें पता चल सके कि हममें कौन सी कमियां हैं जिससे कि उसका पुनरावर्तन ना हो सके।
पति भी सहमत हो गया कि विचार तो अच्छा है। डायरियाँ आ गईं और देखते ही देखते वर्ष बीत गया। अगले वर्ष फिर विवाह की वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर दोनों साथ बैठे।
एक-दूसरे की डायरियाँ लीं। पहले आप, पहले आप की मनुहार हुई। अंत में महिला प्रथम की परिपाटी के आधार पर पत्नी की लिखी डायरी पति ने पढ़नी शुरू की।
पहला पृष्ठ
दूसरा पृष्ठ
तीसरा पृष्ठ
"आज विवाह की वर्षगांठ पर मुझे ढंग का उपहार नहीं दिया"
"आज होटल में खाना खिलाने का कहकर करके भी नहीं ले गए"
"आज मेरे पसंदीदा हीरो की पिक्चर दि
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