बुधवार, 14 सितंबर 2022

“पितृ पक्ष श्राद्ध तर्पण नियम विधि”~ नमः वार्ता (आचार्य रजनेश त्रिवेदी)

“पितृ पक्ष श्राद्ध तर्पण नियम विधि”~ नमः वार्ता (आचार्य रजनेश त्रिवेदी)

  🚩पितृपक्ष में कैसे करे तर्पण🚩 


शास्त्रों में बताया गया है कि इस पक्ष में पितरों का तर्पण और श्राद्ध किया जाना चाहिए। नवरात्र को जैसे देवी पक्ष कहा जाता है उसी प्रकार आश्विन कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक को पितृपक्ष कहा जाता है। लोक मान्यता के अनुसार, और पुराणों में भी बताया गया है कि पितृ पक्ष के दौरान परलोक गए पूर्वजों को पृथ्वी पर अपने परिवार के लोगों से मिलने का अवसर मिलता और वह पिंडदान, अन्न एवं जल ग्रहण करने की इच्छा से अपनी संतानों के पास रहते हैं। इन दिनों मिले अन्न, जल से पितरों को बल मिलता है और इसी से वह परलोक के अपने सफर को तय कर पाते हैं। इन्हीं अन्न जल की शक्ति से वह अपने परिवार के सदस्यों का कल्याण कर पाते हैं।


  पितृपक्ष श्राद्ध तर्पण विधि मंत्र, जानें कितनी बार आत्मा को दें जल  👇


  💥पितृ पक्ष श्राद्ध तर्पण नियम  

गरुड़ पुराण के अनुसार, पितृ पक्ष में जिनकी माता या पिता अथवा दोनों इस धरती से विदा हो चुके हैं उन्हें आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से आश्विन अमावस्या तक जल, तिल, फूल से पितरों का तर्पण करना चाहिए। जिस तिथि को माता-पिता की मृत्यु हुई हो उस दिन उनके नाम से अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। पितृपक्ष में भोजन के लिए आए ब्राह्णों को दक्षिणा नहीं दिया जाता है। जो तर्पण या पूजन करवाते हैं केवल उन्हें ही इस कर्म के लिए दक्षिणा दें।


  पितृपक्ष में तर्पण विधि 👇

 

पितरों को जल देने की विधि को तर्पण कहते हैं। तर्पण कैसे करना चाहिए, तर्पण के समय कौन से मंत्र पढ़ने चाहिए और कितनी बार पितरों से नाम से जल देना चाहिए।


  आइए अब इसे जानेंः- 👇


 हाथों में कुश लेकर दोनों हाथों को जोड़कर पितरों का ध्यान करना चाहिए और उन्हें आमंत्रित करेंः- ‘ओम आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम’ इस मंत्र का अर्थ है, हे पितरों, पधारिये और जलांजलि ग्रहण कीजिए।


  💥तर्पण में पिता को जल देने का मंत्र  


अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें, गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः

इस मंत्र को बोलकर गंगा जल या अन्य जल में दूध, तिल और जौ मिलकर 3 बार पिता को जलांजलि दें। जल देते समय ध्यान करें कि वसु रूप में मेरे पिता जल ग्रहण करके तृप्त हों। इसके बाद

.....सम्पूर्ण पढ़े>> https://ift.tt/e90GvZC https://ift.tt/mHUrXYu

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें