🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
“ उत्तरदायित्व-भाग लो या भाग लो ” कहानी ~ नमः वार्ता
सरला का विवाह हुआ था। ससुराल से 1 महीने पश्चात जब अपने मायके लौटी तो
मां के सामने रोने बैठ गई।
अश्रु बहाते हुए बोली मां तुमने मुझे किस घर में पटक दिया।
वहां तो मेरी कोई सम्मान ही नहीं है ,सारा दिन नौकरानी की प्रकार रसोई घर में खड़ी रहती हूं।
किसी को भी दया नहीं आती,
सास ससुर की रोटी सेकना दो, छोटे देवर की रोटियां सेकना,
एक नंद है उसकी रोटियां सेकना,आए दिन सासू मां के रिश्तेदार आते रहते हैं।
उन सिखे लिए भी मुझे ही चाय नाश्ता भोजन वगैरह तैयार करना होता हैं। प्रतिदिन गंदे कपड़ों के ढेर इकट्ठे हो जाते हैं। आराम ही नहीं मिलता जीवन नरक
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