🔆🔆🔆 जय श्री राम🔆🔆🔆
दान-अर्थ तथा श्रम न हो तो
एक बूढ़ा व्यक्ति प्रातः काल से ही घास काटने में लग गया । दिन ढलने तक वह इतनी घास काट चुका था कि कटी घास को घोड़े पर लाद कर बाजार में बेंच सके।
एक सुशिक्षित व्यक्ति बड़ी देर से उस वृद्ध के प्रयास को निहार रहा था। उसने वृद्ध से प्रश्न किया-आप दिन भरके परिश्रम से जो भी कमा सकोगे ,उससे कैसे आपका खर्च चलेगा? क्या आप घर में अकेले ही रहते हो?
वृद्ध ने हंसते हुए कहा--मेरे परिवार में कई लोग हैं। जितने की घास बिकती है,उतने से ही हम लोग व्यवस्था बनाते व काम चला लेतें हैं।
उस पढे लिखे युवक को आश्चर्यचकित देख वृद्ध ने पूछा-- लगता है कि तुमने अपनी कमाई से बढ़चढ़ कर
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