फरवरी
फसलोत्पादन
#गेहूँ
बोआई के समय के हिसाब से गेहूँ में दूसरी सिंचाई बोआई के 40-45 दिन बाद तथा तीसरी सिंचाई 60-65 दिन की अवस्था में कर दें। चौथी सिंचाई बोआई के 80-85 दिन बाद बाली निकलने के समय करें।गेहूँ के खेत में चूहों का प्रकोप होने पर जिंक फास्फाइड से बने चारे अथवा एल्यूमिनियम फास्फाइड की टिकिया का प्रयोग करें। चूहों की रोकथाम के लिए सामूहिक प्रयास अधिक सफल होगा।जौ
खेत में यदि कण्डुवा रोग से ग्रस्त बाली दिखाई दे तो उसे निकाल कर जला दें।
#चना
चना
चने की फसल को फली छेदक कीट से बचाव के लिए फली बनना शुरू होते ही बैसिलस थूरिनजिएन्सिस (बी.टी.) 1.0 किग्रा अथवा फेनवैलरेट 20 प्रतिशत ई.सी. 1.0 लीटर अथवा क्यूनालफास 25 प्रतिशत ई.सी. 2.0 लीटर प्रति हेक्टेयर 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
#मटर
मटरमटर में बुकनी रोग (पाउडरी मिल्ड्यू ) रोग की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टेयर 2.0 किग्रा घुलनशील गन्धक या कार्बेन्डाजिम 500 ग्राम या ट्राइडोमार्फ 80 ई.सी. 500 मिलीलीटर की दर से 12-14 दिन के अन्तराल पर दो छिड़काव करें।
.....सम्पूर्ण पढ़े>>
https://ift.tt/eA8V8J https://ift.tt/34jli6I
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें