प्रकाशन/प्रसारण | विवरण | लिंक |
विनीत प्रताप सिंह सीतूभदौरिया
सोमवार, 13 मई 2024
प्रकाशन एवं प्रसारण
उपलब्ध सुविधाएं
सुविधा | आवश्यकता | शुल्क |
आधार धन निकासी BOB को छोडकर | आधार कार्ड | - |
धन हस्तांतरण | यूपीआई आईडी खाता विवरण QR कोड |
1% |
लेमिनेसन | - | 10 |
ID कार्ड प्रिंटिंग | - | 50 |
पासपोर्ट साइज़ फोटो | - | 10/3 |
प्रिंट आउट | - | 10क |
फोटो कॉपी | - | 2 |
विद्युत बिल | विद्युत खाता संख्या | - |
रिचार्ज | - | - |
ऋण EMI भुगतान | - | 1% |
रविवार, 12 मई 2024
उपलब्ध योजनाए
योजना | लाभ/आवश्यकता | पात्रता | आवश्यक पत्रक | शुल्क/लिंक |
उप्र पुलिस विभाग चरित्र सत्यापन | विभिन्न सरकारी व्यक्तिग्त कार्यों में | प्रदेश निवासी | आधार फोटो मोबाइल नंबर |
- |
उप्र किसान पंजीकरण अनुदान हेतु | बीज,यंत्र आदि कृषि अनुदान | कृषक समस्त | आधार आधार ओटीपी बैंक पासबूक मोबाइल नंबर खतौनी |
- |
शौचालय निर्माण अनुदान | 12000 रुपए की अनुदान सहायता | कम आय वाले सभी परिवार | आधार कार्ड बैंक खाता मोबाइल नंबर और OTP |
50 |
आयुष्मान कार्ड | परिवार को 5 लाख तक का वार्षिक निशुल्क उपचार | PMJAY सूची में सम्मिलित परिवार अंतोदय लाल कार्ड धारक परिवार 6सदस्यों वाले पात्र गृहस्थी परिवार राशन कार्ड धारक जिनके सभी सदस्य 60वर्ष से अधिक उम्र के है |
आधार कार्ड लाभार्थी की उपस्थिती |
कार्ड प्रिंट 50 |
लघु सिचाई बोरिंग योजना | बोरिंग | न्यूनतम भूमि 0.2 हे० अधिकतम १ हे० SC/ST के लिए न्यूनतम ०.१ हे० अधिकतम सीमा नहीं |
फोटो, हस्ताक्षर आधार खतौनी किसान पंजीकरण पारदर्शी या पीएम किसान sc/st हेतु जाति प्रमाण पत्र |
50 |
ई डिस्ट्रिक्ट | निवास,आय,जाति | सभी | आधार कार्ड आधार OTP स्वघोषणा पत्र |
50 |
रविवार, 24 मार्च 2024
मानव को भक्त प्रह्लाद की तरह विघ्न बाधाओं के बीच भी भगवदनिष्ठा टिकाए रखकर संसार सागर से पार होने का संदेश देने वाला पर्व 'होली' की हार्दिक शुभकामनाएं !
होली भारतीय संस्कृति की पहचान का एक पुनीत पर्व है, भेदभाव मिटाकर पारस्परिक प्रेम व सदभाव प्रकट करने का एक अवसर है |अपने दुर्गुणों तथा कुसंस्कारों की आहुति देने का एक यज्ञ है तथा परस्पर छुपे हुए प्रभुत्व को, आनंद को, सहजता को, निरहंकारिता और सरल सहजता के सुख को उभारने का उत्सव है |
यह रंगोत्सव हमारे पूर्वजों की दूरदर्शिता है जो अनेक विषमताओं के बीच भी समाज में एकत्व का संचार करता है | होली के रंग-बिरंगे रंगों की बौछार जहाँ मन में एक सुखद अनुभूति प्रकट कराती है वहीं यदि सावधानी, संयम तथा विवेक न रख्खा जाये तो ये ही रंग दुखद भी हो जाते हैं | अतः इस पर्व पर कुछ सावधानियाँ रखना भी अत्यंत आवश्यक है |
वर्त्तमान समय में होली के दिन शराब अथवा भंग पीने की कुप्रथा है | नशे से चूर व्यक्ति विवेकहीन होकर घटिया से घटिया कुकृत्य कर बैठते हैं अतः नशीले पदार्थ से तथा नशा करने वाले व्यक्तियों से सावधान रहना चाहिये |आजकल सर्वत्र उन्न्मुक्तता का दौर चल पड़ा है | पाश्चात्य जगत के अंधानुकरण में भारतीय समाज अपने भले बुरे का विवेक भी खोता चला जा रहा है | जो साधक है, संस्कृति का आदर करने वाले हैं, ईश्वर व गुरु में श्रद्धा रखते हैं ऐसे लोगो में शिष्टता व संयम विशेषरूप से होना चाहिये | पुरुष सिर्फ पुरुषों से तथा स्त्रियाँ सिर्फ स्त्रियों के संग ही होली मनायें | स्त्रियाँ यदि अपने घर में ही होली मनायें तो अच्छा है ताकि दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों कि कुदृष्टि से बच सकें |
होली मात्र लकड़ी के ढ़ेर जलाने का त्योहार नहीँ है |यह तो चित्त की दुर्बलताओं को दूर करनेका, मन की मलिन वासनाओं को जलाने का पवित्र दिन है | अपने दुर्गुणों, व्यसनों व बुराईओं को जलाने का पर्व है होली .......अच्छाईयाँ ग्रहण करने का पर्व है होली .........समाज में स्नेह का संदेश फैलाने का पर्व है होली..........
आज के दिन से विलासी वासनाओं का त्याग करके परमात्म प्रेम, सदभावना, सहानुभूति, इष्टनिष्ठा, जपनिष्ठा, स्मरणनिष्ठा, सत्संगनिष्ठा, स्वधर्म पालन , करुणा दया आदि दैवी गुणों का अपने जीवन में विकास करना चाहिये | भक्त प्रह्लाद जैसी दृढ़ ईश्वर निष्ठा, प्रभुप्रेम, सहनशीलता, व समता का आह्वान करना चाहिये | सत्य, शान्ति, प्रेम, दृढ़ता की विजय होती है इसका स्मरण दिलाता है आज का दिन | हिरण्यकश्यपु रूपी आसुरी वृत्ति तथा होलिका रूपी कपट की पराजय का दिन है होली, यह पवित्र पर्व परमात्मा में दृढ़ निष्ठावान के आगे प्रकृति द्वारा अपने नियमों को बदल देने की याद दिलाता है | मानव को भक्त प्रह्लाद की तरह विघ्न बाधाओं के बीच भी भगवदनिष्ठा टिकाए रखकर संसार सागर से पार होने का संदेश देने वाला पर्व 'होली' की हार्दिक शुभकामनाएं !
शनिवार, 6 जनवरी 2024
“ अस्वतंत्र मानसिकता वाला रट्टू तोता ” कहानी ~ नमः वार्ता
🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
“ अस्वतंत्र मानसिकता वाला रट्टू तोता ” कहानी ~ नमः वार्ता
एक बार एक संत ने एक बहेलिया को देखा जो तोतों को जाल में फंसाकर, पकड़कर बाजार में बेचने के लिए ले जा रहा था। उसे देखकर संत का मन बहुत व्याकुल हुआ। उस संत ने मन में संकल्प किया कि इन पक्षियों को मैं स्वतंत्र रहने के लिये शिक्षित करूंगा।
संत ने तोतों को शिक्षा देना प्रारंभ किया। तोतों ने संत द्वारा बताए हुए पाठ को शीघ्र ही कंठस्थ कर लिया।
पाठ था-
"बहेलिया आएगा"
"जाल बिछाएगा"
"दाना डालेगा"
"पर हम नहीं खाएंगे"
एक दिन बहेरिया पुनः जंगल में तोते पकड़ने के लिये आ गया और तोतों को ये गाते हुए देखकर उसका मन अति व्याकुल हुआ कि अब तो तोते मेरे जाल में नहीं फंसेंगे।
बहेलिये ने जाल बिछाया, दाने डाले और पक्षियों की प्रतीक्षा के लिए दुखी मन से एक ओर खड़ा हो गया।
कुछ क्षणों उपरांत ही वो हतप्रद हुआ जब देखा कि दाने डालते ही पक्षियों का झुण्ड ने तुरंत ही जाल की ओर आना प्रारंभ कर दिया और सभी जाल में फंस गए। जाल में फंसने के उपरांत भी पक्षी गाए जा रहे थे कि
बहेलिया आएगा
जाल बिछाएगा
दाना डालेगा
पर हम नहीं खाएंगे
बहेलिया ने जाल को उठाया और सभी पक्षियों को जाल में बांधकर चल पड़ा परंतु अब भी पक्षी फिर भी गाए जा रहे थे कि
बहेलिया आएगा,जाल बिछाएगा दाना डालेगा, हम नहीं खाएंगे
हम हिंदुओं का भी यही हाल है। पाश्चात्य सभ्यता से आज भी प्रभावित है, हिन्दू होने के नाते ग्लानि से मन भरा हुआ है क्योंकि अस्वतंत्रता की मानसिकता जा ही नही रही। एक ओर तो हम कह रहे हैं हिन्दू जागृत हो गया, गर्व से कहो हम हिन्दू है और दूसरी ओर अंग्रेजी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई दे रहे हैं।
जिस प्रकार तोते ने बस पाठ रट लिया किंतु जैसे ही दाने का कच्चा लालच देखा तो अस्वतंत्र होने की मानसिकता प्रबल हो गयी। उसी प्रकार हम भी जानबूझकर सोच समझकर वही व्यवहार कर रहे हैं जबकि हैरानी है कि ये अंग्रेजों का नव वर्ष भी नही है।
सोचिए क्या आपके व्यापार में वर्ष बदला❓
क्या आपके विद्यालयों में वर्ष बदला❓❓
जब दिवाली होली जैसे त्योहार विकमी संवत के पंचांग के अनुसार मनाए तो अब अपनी संस्कृति और संस्कार को आपने क्यों बदला।
ध्यान दीजिए-
सप्त से-सेप्टेम्बर
अष्ट से-अक्टूबर
नवम से-नवम्बर
दशम से-दिसम्बर यानी (X मास रोमन में) ये उनके वर्ष का भी दसवां महीना है। अंग्रेजों के राजाओं ने अपने नाम पर जुलाई/अगस्त में 1-1 दिन बढ़वा कर ये महीने 31 दिन के कर दिये और वर्ष के अंत मे 12वे महीने फरवरी को 28 दिन का करना पड़ा।
प्रेषक-
#दिनेश बरेजा
शनिवार, 23 दिसंबर 2023
“महाबालिदान- शौर्य तथा शोक का सप्ताह” कहानी ~ नमः वार्ता
🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
“महाबालिदान- शौर्य तथा शोक का सप्ताह” कहानी ~ नमः वार्ता
पूस का 13वां दिन….
वजीर खां ने फिर पूछा- "बोलो इस्लाम स्वीकार करते हो"?
6 साल के छोटे साहिबजादे फ़तेह सिंह ने वजीर खां से पुछा-
"अगर मुसलमान हो गए तो फिर कभी नहीं मरेंगे न ?"
वजीर खां अवाक रह गया।
उसके मुँह से उत्तर न फूटा तो साहिबजादे ने उत्तर दिया कि "जब मुसलमान हो के भी मरना ही है , तो अपने धर्म में ही अपने धर्म की लिए क्यों न मरें ?"
दोनों साहिबजादों को जीवित दीवार में चुनवाने का आदेश हुआ। दीवार चिनी जाने लगी ।
जब दीवार 6 वर्षीय फ़तेह सिंह की गर्दन तक आ गयी तो 8 वर्षीय जोरावर सिंह रोने लगा।
फ़तेह ने पूछा, "जोरावर रोता क्यों है ?"
जोरावर बोला-"रो इसलिए रहा हूँ कि आया मैं पहले था पर धर्म के लिए बलिदान तू पहले हो रहा है"
.....सम्पूर्ण पढ़े>>