🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
“ स्वतंत्रता संग्राम के आधार-भारतीय मातृ शक्ति ” कहानी ~ नमः वार्ता
फाँसी से एक दिन पूर्व फाँसी पाने वाले व्यक्ति को उसके सगे सम्बन्धियों से भेंट का अवसर मिलता है। ठाकुर मुरलीधर ठकुराइन को साथ ना लाये थे कि माँ बहुत रोयेगी।
दल की ओर से शिव वर्मा भी सम्बन्धी बनकर राम प्रसाद बिस्मिल “ राम प्रसाद तोमर” से मिल लेना चाहते थे। उन्होंने मुरलीधर जी से बात की पर उन्होंने झिड़क दिया। इधर माँ अपने से ही गोरखपुर पहुँच गई और जेल के फाटक पर पहले से मौजूद थीं। शिव वर्मा ने माता से अनुनय की तो वे बोलीं, तुम राम प्रसाद बिस्मिल “ राम प्रसाद तोमर” के संगी हो और मेरे बेटे जैसे हो। मैं तुम्हें साथ ले चलूँगी कोई पूछे तो कह देना मेरे भतीजे हो, शेष मैं देख लूँगी।
नवम्बर १९२८ के चाँद पत्रिका के फाँसी अंक में राम प्रसाद बिस्मिल “ राम प्रसाद तोमर” व उनकी माताजी की अन्तिम भेंट का जो मार्मिक विवरण प्रकाशित
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