🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
“ पितृपक्ष महत्व व विधि” ~ नमः वार्ता
सनातन धर्म में पितरों के लिए पितृपक्ष भाद्र शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक चलता है।जो इस वर्ष 10 सितम्बर से 25 सितम्बर तक रहेगा।हव्य दान देवताओं के लिए एवं कव्य दान पितरों को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। पितृपक्ष में पितरों के निमित्त पितृ तर्पण बहुत महत्वपूर्ण कर्म माना जाता र्है।पितृ तर्पण समस्त पितरों को तृप्त करने वाला है।
पितृ तर्पण विधि:-
दक्षिण दिशा की ओर मुंह करें जनेऊ को दाहिने कंधे पर रखकर बाएं हाथ के नीचे ले जाएं गमछे को भी दाहिने कंधे पर रखें बाया घुटना जमीन पर लगा कर बैठे अर्घ्य पात्र में काले तिल छोड़ें कुशों को बीच से मोड़कर उनकी जड़ और अग्रभाग को दाहिने हाथ में तर्जनी और अंगूठे के बीच में रखें अंगूठे और तर्जनी के मध्य भाग से तीन तीन अंजलि दें,अंजलि जल देते समय अपने पितरों का नाम स्मरण करते रहें,अंत में ज्ञात अज्ञात पितरों के निमित्त भी जल प्रदान करें।पितृ को तर्पण करते समय पुरुषवर्ग के लिए-तस्मैं स्वधा नमः।स्त्री वर्ग को जल देते समय तस्यै स्वधा नमः।बोले ऐसा करने से निश्चित ही पितृ प्रसन्न होंगे और घर में परिवार में सुख शांति समृद्धि प्राप्त होगी एवं पितृदोष दूर होंगे।
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