🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
अन्नदाता की मूल्य
"गन्ने का रस पी लो काकी!"..
गाँव की हॉट में ठेला लगा गन्ने का रस बेच रहे लाखन ने सर पर सब्जी-भाजी की टोकरी उठाएं चली आ रही काकी को देख आज पुनः आवाज लगा दी।
"पैसे ना है मेरे पास!" उसे दृष्टिअंदाज कर काकी आगे बढ़ने को हुई।
"पैसे कहाँ माँग रहा हूँ काकी!"
"मुफ्त में पिलाएगा रस?"
"आप यही समझ लो!"
गन्ने से रस निकालता लाखन मुस्कुराया लेकिन सर पर उठाया बोझ वहीं पास में रख काकी भुनभुनाई..
"बड़ा आया!.मुफ्त में रस पिलाने वाला।"..
इससे पहले की वह उसे कुछ और सुनाती लाखन ने गिलास भरकर गन्ने का रस काकी की ओर बढ़ा दिया..
"लो काकी!.चख कर बताओ मिठास।" पहला घूंट लेते ही काकी तृप्त हुई..
"ताजे गन्ने के रस में बड़ा मिठास होवे है!"
"लेकिन काकी!.आजकल मिठास उपजाने वालों के घर में अक्सर उपवास होवे है।" वर्षों से अपने खेतों में गन्ना उपजा रहे लाखन का दर्द छलका।
"क्यों?..मंडी में गन्नों के भाव ना मिले?" गन्ने के रस का अंतिम घूंट लेती काकी चिंतामंद हुई।
"सरकार से लड़ रहे झूठे किसान नेताओं की दृष्टि में इस मिठास की कोई मूल्य नहीं, वे तो हमे बढन न दे रहे!सरकारी योजनाओं का लाभ हम तक न पहुंचता"
"यो तो है बेटा!...नूं तो इस मिठास की मूल्य कोई ना चुका सके!.लेकिन मेहनत की मूल्य तो हर हाल में चुकानी ही चाहिए।" काकी ने प्रतिदिन की प्रकार आज भी अपने आंचल के खूंटे में बंधा दस का नोट खोलकर लाखन के हाथ पर रख दिया।
प्रेषक-
दिनेश बरेजा
उपर्युक्त प्रकाशित लेख में कोई त्रुटि है या विवादस्प लगे, तो टिप्पणी बॉक्स में अवश्य लिखे इसी के साथ अपने लेख प्रकाशित करवाने के लिए भी संपर्क कर सकते है।
📒 https://ift.tt/dC6PNzx 🐦 https://twitter.com/NamahVarta 📜 https://ift.tt/ZgrDsBG 📔 https://ift.tt/2AT4J6Z 🎬 https://youtube.com/channel/UC66OK1dAeQmBiaSV2yuRKOw
https://ift.tt/ZP0hKuz https://ift.tt/JXopdrO
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें