🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
“ रिश्तों के टुकड़े सँजोती बहु ” कहानी ~ नमः वार्ता
चालीस पार मोहन ने अंत अपने आँफिस की सहकर्मी सुधा से विवाह कर ही ली....सुधा जहां एक अनाथ लडकी थी अपने चाचा चाची के पास पली बडी वही दूसरी ओर मोहन की केवल माताजी है पिताजी का स्वर्गवास उसके छोटी उम्र मे ही हो गया था ....
सुधा ने आते ही घर का सारा काम बहुत अच्छे से संभाल लिया ....वह अपनी बीमार सासूमां का अच्छे से ध्यान रखती..... लेकिन विवाह के बीते एक वर्ष उपरांत उसने एक गुण बना ली थी वो अब अपनी सासूंमां के पास बैठकर कुछ नहीं खाती थी पहले तो दोनों सास-बहू साथ में ही भोजन खाती थी.... सुधा की सास सुषमा जी पहले रसोई के काम में हाथ भी बंटवाती थी इसलिए उनको सब पता होता था कि रसोई में किस डब्बे में क्या रखा है लेकिन अब बीमारी के कारण वो रसोई में भी नही जा पाती थी....
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