🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
“ अनभिज्ञ से आत्मिक स्नेह ” कहानी ~ नमः वार्ता
"अम्मा!.आपके बेटे ने मनीआर्डर भेजा है।"
डाकिया बाबू ने अम्मा को देखते अपनी साईकिल रोक दी। अपने नेत्रों पर चढ़े चश्मे को उतार आंचल से साफ कर वापस पहनती अम्मा की बूढ़ी नेत्रों में अचानक एक चमक सी आ गई..
"बेटा!.पहले थोड़ा बात करवा दो।"
अम्मा ने उम्मीद भरी दृष्टि से उसकी ओर देखा लेकिन उसने अम्मा को टालना चाहा..
"अम्मा!. इतना टाइम नहीं रहता है मेरे पास कि,. हर बार आपके बेटे से आपकी बात करवा सकूं।"
डाकिए ने अम्मा को अपनी शीघ्रता बताना चाहा
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