🔆💥 जय श्री राम 🔆💥
श्रम अथवा अर्थ दान
किसी नगर में एक वैद्य रहते थे। उनका व्यवहार बेहद कुशल और विनम्र था, इसीलिए वे उस पूरे इलाके में बहुत सम्मान भी पाता था। वे अपने चिकित्सा आश्रम में ही रोगियों का उपचार करते थे।
एक बार एक सेठ अपने बच्चे को दिखाने उस वैद्य के पास पहुंचा। बच्चे को देखने के उपरांत वैद्य ने एक पुड़िया दवा दी और पत्रक पर आगे चलनेवाली दवा लिख दी।
सेठ ने वैद्य से पूछा, क्या फीस देनी होगी? वैद्य ने कहा, आप मुझे 100 सोने की अशर्फी दे दीजिये। यह बात पास बैठा दूसरा मरीज सुन रहा था, जो बेहद गरीब था। उसने सोचा कि इतनी फीस मैं कैसे दे पाऊँगा? यह सोच कर वह चुपचाप उठ कर जाने लगा
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