🔆🔆🔆 जय श्री राम🔆🔆🔆
आपकी सोच से भिन्न होती है ईश्वर की इच्छा
जब जयद्रथ को मारने की प्रतिज्ञा अर्जुन कर लेते हैं- "सूर्यास्त तक नहीं तो अग्नि समाधी ले लूंगा"!!
तो आचार्य द्रोण उस कमल व्यूह के अंदर जयद्रथ को छुपा देते हैं।
कमल व्यूह जिसका आकर 32 कोस का था। स्पष्ट है वह उस तक कैसे पहुँचते जयद्रथ कि सुरक्षा में बड़े बड़े वीर तैनात थे।
भगवान कृष्ण बोले, अर्जुन तुम रास्ता साफ करो मैं रथ ले चलता हूँ। परन्तु संध्या हो आई अब भी 12 कोस रह गया तो कृष्ण रथ से उतर गये !
अर्जुन पूछे केशव यह क्या ?
कृष्ण ने कहा "अश्व थक गये हैं"।
आगे बोलते हुये भगवान कृष्ण जो बोले वह ध्यान देने योग्य है.....
अर्जुन कदाचित तुमने मेरे गीता के उपदेश पर ध्यान नहीं दिया था जो युद्ध के शुरू में मैंने तुम्हे दिया था !
"तुम प्रतिज्ञा करने वाले होते कौन हो" ? तुम तो निमित्त हो, यदि तुम प्रतिज्ञा न किये होते तो अब तक जयद्रथ को मार देते। तुम्हारा ध्यान एक ओर सूर्य पर है दूसरी ओर जयद्रथ पर इसलिये तुम्हारे निशाने चूक रहें हैं। ऐसा लक्ष्य तय कर दिये हो कि असफल होने पर तुम्हें ही विनष्ट कर देगा। यह डर ही तुम्हें हरा देगा । भगवान के वचन बड़े सारगर्भित हैं।
प्रेषक:- दिनेश बरेजा
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